BSEB Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण
Bihar Board Class 11 Geography महासागरों और महाद्वीपों का वितरण Text Book Questions and Answers
(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
निम्न में से किसने सर्वप्रथम यूरोप, अफ्रीका व अमेरिका के साथ स्थित होने की संभावना व्यक्त की?
(क) अल्फ्रेड वेगनर
(ख) अब्राहम आरटेलियस
(ग) एनटोनियो पेलग्रिनी
(घ) एमंड हैस
उत्तर:
(ख) अब्राहम आरटेलियस
प्रश्न 2.
निम्न में से किसने सर्वप्रथम यूरोप, अफ्रीका व अमेरिका के साथ स्थित होने की संभावना व्यक्त की?
(क) अल्फ्रेड वेगनर
(ख) अब्राहम आरटेलियस
(ग) एनटोनियो पेलग्रिनी
(घ) एमंड हैस
उत्तर:
(ख) अब्राहम आरटेलियस
प्रश्न 3.
पोलर फ्लिंग बल (Polar fleeing force) निम्नलिखित में से किससे सम्बन्धित है?
(क) पृथ्वी का परिक्रमण
(ख) पृथ्वा का घूर्णन
(ग) गुरुत्वाकर्षण
(घ) ज्वारीय बल
उत्तर:
(ख) पृथ्वा का घूर्णन (ग) गुरुत्वाकर्षण
प्रश्न 3.
इनमें से कौन सी लघु (Minor) प्लेट नहीं है?
(क) नाजका
(ख) फिलिप्पिन
(ग) अरब
(घ) अंटार्कटिक
उत्तर:
(घ) अंटार्कटिक
प्रश्न 4.
सागरीय तल विस्तार सिद्धांत की व्याख्या करते हुए हेस ने निम्न से किस अवधारणा को नहीं विचारा?
(क) मध्य-महासागरीय कटकों के साथ ज्वालामुखी क्रियाएँ
(ख) महासागरीय नितल की चट्टानों में सामान्य व उत्क्रमण चुम्बकत्व क्षेत्र की पट्टियों का होना।
(ग) विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण
(घ) महासागरीय तल की चट्टानों की आयु।
उत्तर:
(ग) विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण
प्रश्न 5.
हिमालय पर्वतों के साथ भारतीय प्लेट की सीमा किस तरह की प्लेट सीमा है?
(क) महासागरीय-महाद्वीपीय अभिसरण
(ख) अपसारी सीमा
(ग) रूपांतर सीमा
(घ) महाद्वीपीय अभिसरण
उत्तर:
(क) महासागरीय-महाद्वीपीय अभिसरण
प्रश्न 6.
महाद्वीपीय विस्थापन के सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?
(क) वेगनर
(ख) बेकन
(ग) टेलर
(घ) हेनरी हेस
उत्तर:
(ग) टेलर
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे छोटा महासागर है?
(क) हिन्द महासागर
(ख) आर्कटिक महासागर
(ग) अटलांटिक महासागर
(घ) प्रशांत महासागर
उत्तर:
(ख) आर्कटिक महासागर
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सा पटल विरूपण से संबंधित नहीं है?
(क) पर्वत बल
(ख) प्लेट विवर्तनिक
(ग) महादेश जनक बल।
(घ) संतुलन
उत्तर:
(ग) महादेश जनक बल।
प्रश्न 9.
समुद्रतल पर सामान्य वायुमंडलीय दाब कितना होता है?
(क) 1031.25 मिलीबार
(ख) 1013.25 मिलीबार
(ग) 1013.52 मिलीबार
(घ) 1031.52 मिलीबार
उत्तर:
(ख) 1013.25 मिलीबार
प्रश्न 10.
लवणता को प्रति, समुद्र तल में घुले हुए नमक (ग्राम) को मात्रा से व्यक्त किया जाता है
(क) 10 ग्राम
(ख) 100 ग्राम
(ग) 1000 ग्राम
(घ) 10,000 ग्राम
उत्तर:
(ग) 1000 ग्राम
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
महाद्वीपों के प्रवाह के लिए वेगनर ने निम्नलिखित में से किन बलों का उल्लेख किया?
उत्तर:
वेनगर के अनुसार, महाद्वीपीय विस्थापन के दो कारण थे –
- पोलर या ध्रुवीय फ्लिंग बल (Polar fleeing force) और
- ज्वारीय बल (Tidal force)| ध्रुवीय फ्लिंग बल पृथ्वी के घूर्णन से संबंधित है। यह ज्वारीय बल सूर्य व चन्द्रमा के आकर्षण से संबंद्ध है जिससे महासागरों में ज्वार पैदा होते हैं।
प्रश्न 2.
मैटल में संवहन धाराओं के आरम्भ होने और बने रहने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
ये धाराएँ रेडियाऐक्टिव तत्त्वों से उत्पन्न ताप भिन्नता से मैटल भाग में उत्पन्न होती हैं। आर्थर हाम्स ने तर्क दिया कि पूरे मैंटल भाग में इस प्रकार की धाराओं का तंत्र विद्यमान है।
प्रश्न 3.
प्लेट की रूपांतर सीमा, अभिसरण सीमा और अपसारी सीमान्त में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर:
- जहाँ न तो नई पर्पटी का निर्माण होता है और न ही पर्पटी का विनाश होता है उन्हें रूपान्तरण सीमा (Transform boundries) कहते हैं।
- जब एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे फंसती है और जहाँ क्रस्ट नष्ट होती है,वह अभिसरण सीमा (Convergent boundries) है।
- जब दो प्लेटें एक-दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती हैं और नई पर्पटी का निर्माण होता है उन्हें अपसारी सीमा (Divergent boundries) कहते हैं।
प्रश्न 4.
दक्कन ट्रैप के निर्माण के दौरान भारतीय स्थलखण्ड की स्थिति क्या थी?
उत्तर:
आज से लगभग 14 करोड़ वर्ष पहले यह उपमहाद्वीप सुदूर दक्षिण में 50° दक्षिणी आक्षांश पर स्थित था। इन दो प्रमुख प्लेटों को टिथीस सागर अलग करता था और तिब्बतीय खंड एशियाई स्थलखंड के करीब था। इंडियन प्लेट के एशियाई प्लेट की तरफ प्रवाह के दौरान एक प्रमुख घटना घटी-वह थी लावा प्रवाह से दक्कन ट्रेप का निर्माण होना । ऐसा लगभग 6 करोड़ वर्ष पहले आरम्भ हुआ और एक लम्बे समय तक जारी रहा।
(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के पक्ष में दिये गये प्रमाणों का वर्णन करें?
उत्तर:
जर्मन मौसमविद् अलफ्रेड वेनगर (Affred Wegner) ने महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत सन् 1912 में प्रस्तावित किया, यह सिद्धांत महाद्वीपीय एवं महासागरों के वितरण से संबंधित था। इस सिद्धान्त के पक्ष में दिए गए प्रमाण इस प्रकार थे –
(a) महाद्वीपों में साम्य – दक्षिणी अमेरिका व अक्रीका के आमने-सामने की तटरेखाएँ अद्भुत व त्रुटिरहित साम्य दिखाती हैं। 1964 ई० में बुलर्ड (Bullard) ने एक कम्प्यूटर प्रोग्राम की सहायता से अटलांटिक तटों को जोड़ते हुए एक मानचित्र तैयार किया था तटों का यह साम्य बिल्कुल सही सिद्ध हुआ।
(b) महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता – आधुनिक समय में विकसित की गई रेडियोमिट्रिक काल निर्धारण (Radiometric dating) विधि से महासागरों के पार महाद्वीपों के चट्टानों के निर्माण के समय को सरलता से मापा जा सकता है। 200 करोड़ वर्ष प्राचीन शैल समूहों की एक श्रृंखला यही ब्राजील तट और पश्चिमी अफ्रीका के तट पर मिलती है जो आपस में मेल खाती है।
(c) टिलाइट (Tillite) – टिलाइट वे अवसादी चट्टानें हैं जो हिमानी निक्षेपण से निर्मित होती है। भारत में पाए जाने वाले गोंडवाना श्रेणी के तलछटों के प्रतिरूप दक्षिण गोलाद्धों के छः विभिन्न स्थलखण्डों में मिलते हैं। गोंडवाना श्रेणी के आधार तल में घने टिलाइट हैं जो विस्तृत व लम्बे समय तक हिम आवरण या हिमाच्छादन की तरफ इशारा करते हैं।
(d) प्लेसर निक्षेप (Placer Deposits) – घाना तट पर सोने के बड़े निक्षेपों कोउपस्थिति व चट्टानों की अनुपस्थिति एक आश्चर्यजनक तथ्य है। अतः यह स्पष्ट है कि घाना में मिलने वाले सोने के निक्षेप ब्राजील पठार से उस समय निकले होंगे, जब ये दोनों महाद्वीप एक-दूसरे से जुड़े थे।
(e) जीवाश्मों का वितरण (Distribution of Fossils) – कुछ वैज्ञानिकों ने इन तीनों स्थलखण्डों को जोड़कर एक सतत् स्थलखण्ड ‘लेमूरिया’ (Lemuria) की उपस्थिति को स्वीकारा । ये ‘लैग्मूर’ भारत, मेडागास्कर व अफ्रीका में मिलते हैं । मेसोसारस (Mrsosaurus) नाम के छोटे रेंगने वाले जीव केवल उथले खारे पानी में ही रह सकते थे। इनकी अस्थियाँ केवल दक्षिण अफ्रीका के दक्षिणी प्रान्त और ब्राजील में इरावर शैल समूहों में ही मिलती हैं। ये दोनों स्थान आज एक-दूसरे से 4,800 किमी. की दूरी पर हैं और इनके बीच में एक महासागर विद्यमान है।
प्रश्न 2.
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत व प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त में मूलभूत अंतर बताइए।
उत्तर:
इस सिद्धांत की आधारभूत संकल्पना यह थी कि सभी महाद्वीप एक अकेले भूखण्ड में जुड़े हुए थे। वेगनर के अनुसार, आज के सभी महाद्वीप इस भूखण्ड के भाग थे तथा एक बड़े महासागर से घिरा हुआ था। उन्होंने इस बड़े महाद्वीप को पैजिया (Pangea) का नाम दिया । पंजिया का अर्थ-सम्पूर्ण पृथ्वी। विशाल महासागर को पैंथालासा (Panthalasa) कहा जिसका अर्थ है-जल ही जल। वेगनर के तर्क के अनुसार लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले इस बड़े महाद्वीप पैजिया का विभाजन आरम्भ हुआ।
पैजिया पहले दो बड़े महाद्वीपीय पिण्डो लारेशिया (Laurasia) और गोंडवाना लैण्ड (Gondwanaland) क्रमश: उत्तरी व दक्षिणी भूखण्डों का रूप में विभक्त हुआ। इसके बाद लॉरशिया व गोंडवानालैण्ड धीरे-धीरे अनेक छोटे हिस्सों में बंट गए जो आज के महाद्वीप के रूप में हैं। प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमण्डल सात मुख्य प्लेटों व कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त किया जाता है। नवीन वलित पर्वत श्रेणियाँ खाइयाँ और भ्रंश इन मुख्य प्लेटों को सीमांकित करते हैं।
ग्लोब पर ये प्लेटें पृथ्वी के पूरे इतिहास काल में लगातार विचरण कर रही हैं। वेगनर की संकल्पना के अनुसार केवल महाद्वीप गतिमान है, सही नहीं है। महाद्वीप एक प्लेट का हिस्सा है और प्लेट चलायमान है। भू-वैज्ञानिक इतिहास में सभी प्लेटें गतिमान रही हैं और भविष्य में भी गतिमान रहेंगी।
प्रश्न 3.
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के उपरान्त की प्रमुख खोज क्या है, जिससे वैज्ञानिकों ने महासागर वितरण के अध्ययन में पुनः रुचि ली?
उत्तर:
महाद्वीपीय प्रवाह उपरान्त अध्ययनों ने महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की जो वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के समय उपलब्ध नहीं थी। चट्टानों के पूरे चुम्बकीय अध्ययन और महासागरीय तल के मानचित्रण ने विशेष रूप से निम्न तथ्यों को उजागर किया।
- यह देखा गया है कि मध्य महासागरीय कटकों के साथ-साथ ज्वालामुखी उद्गार सामान्य क्रिया और ये उद्गार इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में लावा बाहर निकालते हैं।
- महासागरीय कटक के मध्य भाग के दोनों तरफ समान दूरी पर पायी जाने वाली चट्टानों के निर्माण का समय संरचना संघटन और
- चुम्बकीय गुणों में समानता पाई जाती है। महासागरीय कटकों के समीप की चट्टानों में सामान्य चुम्बकत्व ध्रुवण (Normal polarity)
- पाई जाती है तथा ये चट्टानें नवीनतम हैं। कटकों के शीर्ष से दूर चट्टानों की आयु भी अधिक है।
- महासागरीय पर्पटी की चट्टानें महाद्वीपीय पर्पटी की चट्टानों की अपेक्षा अधिक नई हैं। महासागरीय पर्पटी की चट्टानें कही भी 20 करोड़ वर्ष से अधिक पुरानी नहीं हैं।
- गहरी खाइयों के भूकम्प के उद्गम अधिक गहराई पर हैं। जबकि मध्य-महासागरीय कटकों के क्षेत्र में भूकम्प उद्गम केन्द्र (Focil) कम गहराई पर विद्यमान हैं।
इन तथ्यों और मध्य महासागरीय कटकों के दोनों तरफ की चट्टानों के चुम्बकीय गुणों के विश्लेषण के आधार पर हैस (Hess) ने सन् 1961 में एक परिकल्पना प्रस्तुत की, जिसे सागरीय तल विस्तार (Sea floor spreading) के नाम से जाना जाता है। सागरीय तल विस्तार अवधारणा के पश्चात् विद्वानों की महाद्वीपों व महासागरों के वितरण के अध्ययन में फिर से रुचि पैदा हुई। सन् 1967 में मैक्कैन्जी (Mackenzie) पार्कर (Parker) और मार्गन (Morgan) ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) कहा गया।
(घ) परियोजना कार्य (Project Work)
प्रश्न 1.
भूकंप के कारण हुई क्षति से संबंधित एक कोलाज बनाइए।
उत्तर:
इस परियोजना को समाचार पत्रों की कटिंग, दूरदर्शन, रेडियों आदि पर वार्ताओं एवं पाठ्य पुस्तक (अध्याय तीन, चार एवं अन्य) से जानकारी इकट्ठा करके स्वयं कोलाज बनाइए ।
Bihar Board Class 11 Geography महासागरों और महाद्वीपों का वितरण Additional Important Questions and Answers
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
पेंजिया से पृथक् होने वाले दक्षिणी महाद्वीप का नाम लिखो।
उत्तर:
गौंडवानालैंड।
प्रश्न 2.
गौंडवानालैंड में शामिल भू-खण्डों के नाम लिखो।
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका।
प्रश्न 3.
उस पौधे का नाम लिखो जिसका जीवाश्म सभी महाद्वीपों में मिलते हैं।
उत्तर:
ग्लोसोप्टैरिस
प्रश्न 4.
मूल महाद्वीप का क्या नाम था? यह कब बना?
उत्तर:
पेंजिया – काल्पनिक कल्प में 280 मिलियन वर्ष पूर्व।
प्रश्न 5.
किसने और कब महाद्वीपीय संचलन सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
उत्तर:
अल्फ्रेड वैगनर ने 1912 ई० में।
प्रश्न 6.
लैमूरिया से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लैमूर प्रजाति के जीवाश्म भारत के मैडागास्कर व अफ्रीका में मिलते हैं। कुछ वैज्ञानिक ने इन तीनों खण्डों को जोड़ कर एक सतत् स्थलखंड की उपस्थिति को स्वीकारा है जिसे ‘लैमूरिया’ कहते हैं।
प्रश्न 7.
प्लेसर निक्षेप कहाँ-कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
घाना तट व ब्राजील तट पर सोने के बड़े निक्षेप मिलते हैं। यहाँ सोनायुक्त शिराएँ पाई जाती हैं। इस से स्पष्ट है कि ये दोनों महाद्वीप एक दूसरे से जुड़े थे।
प्रश्न 8.
टिलाइट से क्या अभिप्राय है? ये कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
टिलाइट वे अवसादी चट्टानें हैं जो हिमानी निक्षेपण से निर्मित होती हैं। गोंडवाना श्रेणी के आधार तल में घने टिलाइट हैं जो लम्बे समय तक हिमावरण की ओर संकेत करते हैं। इसी क्रम के प्रतिरूप भारत के अतिरिक्त दक्षिणी गोलार्द्ध में अफ्रीका, फॉकलैंड द्वीप, मैडागास्कर, अंटार्कटिक और आस्ट्रेलिया में मिलते हैं। ये पुरातन जलवायु और महाद्वीपों में विस्थापन का स्पष्ट प्रमाण हैं।
प्रश्न 9.
किस मानचित्रकार ने तीनों महाद्वीपों को इकट्ठा मानचित्र पर दिखाया?
उत्तर:
एन्टोनियो पैलरिगरनी ने।।
प्रश्न 10.
अन्य महासागरीय तटरेखा की समानता का संभावना सर्वप्रथम किसने व्यक्त किया?
उत्तर:
एक उच्च मानचित्र वेता अब्राहम ऑरटेलियस ने।
प्रश्न 11.
दक्षिणी अमेरिका तथा अफ्रीका को एक दूसरे से पृथक् होने में कितना समय लगा?
उत्तर:
20 करोड़ वर्ष
प्रश्न 12.
हिमालय पर्वत की उत्पत्ति का क्या कारण था?
उत्तर:
भारतीय प्लेट तथा युरेशियन प्लेट का आपसी टकराव।
प्रश्न 13.
हिन्द महासागर में ज्वालामुखी के दो तप्त स्थलों के नाम बताएँ।
उत्तर:
90° पूर्व कटक तथा लक्षद्वीप कटक।
प्रश्न 14.
सबसे बड़ी भू-प्लेट कौन-सी है?
उत्तर:
प्रशान्त महासागरीय प्लेट।
प्रश्न 15.
स्थलमंडल पर कुल कितनी प्लेटें हैं?
उत्तर:
7
प्रश्न 16.
संवहन क्रिया सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
सन् 1928 ई० में आर्थर होम्स ने।
प्रश्न 17.
प्लेटों के संचलन का क्या कारण है?
उत्तर:
तापीय संवहन क्रिया।
प्रश्न 18.
समुद्र के अधस्तल के विस्तारण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
महासागरीय द्रोणी का फैलना तथा चौड़ा होना।
प्रश्न 19.
प्रवों के घूमने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विभिन्न युगों में ध्रुवों की स्थिति का बदलना।
प्रश्न 20.
अफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका में स्वर्ण निक्षेप कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
घाना तथा ब्राजील में।
प्रश्न 21.
अभिसरण से क्या अभिप्राय है? इसके कारण बताइये।
उत्तर:
जब एक प्लेट नीचे धंसती है और जहाँ भूपर्पटी नष्ट होती है, वह अभिसरण सीमा है। वह स्थान जहाँ प्लेट सती हैं, इसे प्रविष्ठन क्षेत्र (Subduction Zone) भी कहते हैं। अभिसरण तीन प्रकार से हो सकता है –
- महासागरीय व महाद्वीपीय प्लेट के बीच
- दो महासागरीय प्लेटों के बीच
- दो महाद्वीपीय प्लेटों के बीच।
प्रश्न 22.
प्राचीन भूकाल में भारत की स्थिति कहाँ थी?
उत्तर:
पुराचुंबकीय (Palaeomagnetic) आँकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने विभिन्न भूकालों में प्रत्येक महाद्वीपीय खंड की अवस्थिति निर्धारित की है। भारतीय उपमहाद्वीप (अधिकांशतः प्रायद्वीपीय भारत) की अवस्थिति नागपुर क्षेत्र में पाई जाने वाली चट्टानों के विश्लेषण के आधार पर आंकी गई है।
प्रश्न 23.
प्लेटों के दो प्रमुख प्रकार बताओ।
उत्तर:
एक प्लेट को महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेट भी कहा जा सकता है। जो इस बात पर निर्भर है कि उस प्लेट का अधिकतर भाग महासागर अथवा महाद्वीप से संबद्ध है। उदाहरणार्थ प्रशांत प्लेट मुख्यतः महासागरीय प्लेट है जबकि युरेशियन प्लेट को महद्वीपीय प्लेट कहा जाता है। प्लेट विविर्तनिकी के सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमण्डल सात मुख्य प्लेटों कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त है। नवीन वलित पर्वत श्रेणियाँ खाइयाँ और भ्रंश इन मुख्य प्लेटों को सीमांकित करते हैं।
प्रश्न 24.
महासागरीय तल को किन भागों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
गहराई व उच्चावच के आधार पर महासागरीय तल को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया जाता है –
- महाद्वीपीय सीमा
- गहरे समुद्री बेसिन
- मध्य महासागरीय कटक
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
धुवों के घूमने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
घुवों का घूमना (Polar Wandering) – पहले महद्वीप पेंजिया के रूप में परस्पर एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, इसका सबसे शक्तिशाली प्रमाण पुराचुबकत्व से प्राप्त हुआ है। मैग्मा, लावा तथा असंगठित अवसाद में उपस्थित चुंबकीय प्रवृत्ति वाले खनिज जैसे मैग्नेटाइट, हेमाटाइट, इल्मेनाइट और पाइरोटाइट इसी प्रवृत्ति के कारण उस समय के चुंबकीय क्षेत्र के समानांतर एकत्र हो गए। यह गुण शैलों में स्थाई चुंबकत्व के रूप में रह जाता है। चुंबकीय ध्रुव की स्थिति में कालिक परिवर्तन होता रहा है, जो शौलों में स्थाई चुंबकत्व के रूप में अभिलेखित किया जाता है।
वैज्ञानिक विधियों द्वारा पुराने शैलों में हुए ऐसे परिवर्तनों को जाना जा सकता है। जिनसे भूवैज्ञानिक काल में ध्रुवों की बदलती हुई स्थिति की जानकारी होती है। इसे ही घुवों का घूमना कहते हैं। ध्रुवों का घूमना यह स्पष्ट करता है कि महाद्वीपों का समय-समय पर संचलन होता रहा है और वे अपनी गति की दिशा भी बदलते है।
प्रश्न 2.
प्रवालों की स्थिति किस प्रकार स्पष्ट करती है कि भू-खण्ड उत्तर की ओर विस्थापित हुए?
उत्तर:
प्रवाल 30° उत्तर 30दक्षिण अक्षांशों के मध्य कोष्ण जल में पनपता है। इस क्षेत्र से बाहर के महाद्वीपों पर प्रवालों का पाया जाना, इस बात का प्रबल प्रमाण है कि प्राचीन भूवैज्ञानिक काल में ये महाद्वीप विषुवत रेखा के निकट थे। महाद्वीपों का संचलन उत्तर की ओर हुआ और इसलिए ये आज शीत एवं उष्ण जलवायु का अनुभव करते हैं।
प्रश्न 3.
पैजिया किसे कहते हैं? इसकी उत्पत्ति कब हुई? इसमे मिलने वाले भू-खण्ड बताएँ। पैंजिया के टूटने की क्रिया बताएं।
उत्तर:
विश्व के सभी भू-खण्ड पेंजिया नाम एक महा-महाद्वीपीय से विलग होकर बने हैं, यह बात अल्फ्रेड वेगनर ने 1912 में कही। जिया नामक यह महाद्वीप 28 करोड़ वर्ष पूर्व, कार्बनी कल्प के अन्त में अस्तित्व में आया। मध्य जुरैसिक कल्प तक यानि 15 करोड़ वर्ष पूर्व पंजिया उत्तरी महाद्वीप लॉरशिया तथा दक्षिणी महाद्वीप गौंडवानालैंड में विभक्त हो गया था। लगभग 6.5 करोड़ वर्ष अर्थात् क्रिटेशस कल्प के अन्त में गौंडवानालैंड फर से खंडित हुआ और इससे कई अन्य महाद्वीपों जैसे दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका की रचना हुई।
प्रश्न 4.
महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेटों का वर्णन करें।
उत्तर:
कुछ महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेटें निम्नलिखित हैं –
- कोकोस प्लेट (Cocoas Plate) – यह प्लेट मध्यवर्ती अमेरिका और प्रशांत मासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
- नाजका प्लेट (Nazca plate) – यह दक्षिण अमेरिका व प्रशांत महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
- अरेबियन प्लेट (Arabian plate) – इसमें अघितर सऊदी अरब का भू-भाग सम्मिलित है।
- फिलिपाइन प्लेट (Philoppine plate) – यह एशिया महाद्वीपी और प्रशांत महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
प्रश्न 5.
महासागरीय तल के मानचित्र से क्या निष्कर्ष निकलता है?
उत्तर:
महासागरीय तल का मानचित्रण (Mapping of the ocean floor) – महासगरी की तली एक विस्तृत मैदान नहीं है, वरन् उनमें भी उच्चावच पाया जाता है। इसकी तली में जलमग्न पर्वतीय कटके व गहरी खाइयाँ हैं, जो प्रायः महाद्वीपों के किनारों पर स्थित हैं। मध्य महासागरीय कटके ज्वालामुखी उद्गार के रूप में सबसे अधिक सक्रिय पायी गयीं। महासागरीय पर्पटी की चट्टानों के काल निर्धारण (Dating) ने यह तथ्य स्पष्ट कर दिया कि महासागरों की नितल की चट्टानें महाद्वीपीय भागों में पाई जाने वाली चट्टानें, जो कटक से बराबर दूरी पर स्थित हैं, उन की आयु व रचना में भी आश्चर्यजनक समानता पाई जाती है।
प्रश्न 6.
महाद्वीपों के प्रवाह के लिए वैगनर ने किन-किन बलों का उल्लेख किया है?
उत्तर:
प्रवाह सम्बन्धी बल (Force for drifting) – वैगनर के अनुसार महाद्वीपीय विस्थान के दो कारण थे:
- पोलर या ध्रुवीय फ्लिंग बल (Polar fleeing force) और
- ज्वारीय बल (Tidal force)
घुवीय फ्लिंग बल पृथ्वी की आकृति एक सम्पूर्ण गोले जैसी नहीं है: वरन् यह भूमध्यरेखा पर उभरी हुई है। यह उभार के घूर्णन के कारण है। दूसरा बल, जो वैगनर महोदय ने सुझाया-वह ज्वारीय बल है, जो सूर्य व चन्द्रमा के आकर्षण से सम्बद्ध है, जिससे महासागरों में ज्वार पैदा होते हैं। वैगनर का मानना था कि करोड़ों वर्षों के दौरान ये बल प्रभावशाली होकर विस्थापन के लिए सक्षम हो गये । यद्यपि कि बहुत से वैज्ञानिक इन दोनों ही बलों को महाद्वीपीय विस्थापन के लिए सर्वथा अपर्याप्त समझते हैं।
प्रश्न 7.
अपसरण क्षेत्र तथा अभिसरण क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
अपसरण क्षेत्र – ये वे सीमाएँ हैं जहाँ प्लेटें एक-दूसरे से अलग होती हैं। भूगर्भ से मैग्मा बाहर आता है। ये महासागरीय कटकों के साथ-साथ देखा जाता है। इन सीमाओं के साथ ज्वालामुखी तथा भूकम्प मिलते हैं। इसका उदाहरण मध्य अटलांटिक कटक है जहाँ से अमेरिकी प्लेटें तथा यूरेशियम व अफ्रीकी प्लेटे अलग होती है।
अभिसरण क्षेत्र – ये वे सीमाएँ हैं जहाँ एक प्लेट का किनारा दूसरे के ऊपर चढ़ जाता है। इनसे गहरी खाइयों तथा वलित श्रेणियों की रचना होती है । ज्वालामुखी तथा गहरे भूकम्प उत्पन्न होते हैं।
रूपांतर सीमा – जहाँ न तो नई पर्पटी का निर्माण होता है और न ही विनाश होता है, उसे रूपांतरण सीमा कहते हैं। इसका कारण है कि इस सीमा पर प्लेटें एक-दूसरे के साथ-साथ क्षैतिज दिशा में सरक जाती हैं।
प्रश्न 8.
भारतीय प्लेट के विषय में बताएँ। हिमालय पर्वत की उत्पत्ति किस प्रकार हुई?
उत्तर:
भारत में हिन्द महासागर की सतह पर ऊँचे कटक तथा पठार शामिल हैं। इनमें से दो महासागरीय कटक, जिनके नाम नाइंटी ईस्ट कटक एवं मैस्केरेन पठार तथा चैगोस-मालद्वीव-लक्षद्वीप द्वीपीय कटक हैं, तप्त स्थलों के ज्वालामुखी मार्ग समझे जाते हैं। नाइंटी-ईस्ट कटक का उत्तरी विस्तार एक महासागरीय खाई में समाप्त हो जाता है, जिसने भारतीय महाद्वीपीय खंड के उत्तर में स्थित समुद्र अधस्तल को अपने में विलीन कर लिया।
चैगोस-लक्षद्वीप कटक आदि नूतन कल्प में पुरातन कार्ल्सबर्ग कटक को दक्षिण-पूर्व इंडियन कटक से जोड़ती थी। मध्य-महासागर कटक का विस्तार हो रहा है। इसकी गति लगभग 14 से 20 सेमी प्रति वर्ष है। कार्ल्सबर्ग दक्षिण-पूर्व हिन्दमहासागर कटक के पश्चात् भारतीय प्लेट एवं यूरेशियन प्लेट का टकराव भारतीय प्लेट के उत्तर में हुआ, जिससे हिमालय की उत्पत्ति हुई। हिमालय प्रदेश में भारतीय प्लेट एवं यूरेशियन प्लेट के मध्य का जोड़ सिंधु तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के साथ हैं।
प्रश्न 9.
सर्वाधिक नवीन प्लेट कौन-सी है?
उत्तर:
मुख्य सात प्लेटों में सर्वाधिक नवीन प्लेट प्रशांत प्लेट है, जो लगभग पूरी तरह महासागरीय पटल से बनी है और भूपृष्ठ के 20 प्रतिशत भाग पर विस्तृत है। अन्य प्लेटों का निर्माण महासागरीय तथा महाद्वीपीय दोनों प्रकार के पटलों से हुआ है। कोई भी अन्य प्लेट केवल महाद्वीपीय पटल से निर्मित नहीं है। प्लेटों की मोटाई में अंतर महासागरों के नीचे 70 किमी से लेकर महाद्वीप के नीचे 150 किमी तक है।
प्रश्न 10.
प्रवाह दर पर नोट लिखें।
उत्तर:
प्लेट प्रवाह दरें (Rates of plate movement) – सामान्य व उत्क्रमण चुम्बकीय । क्षेत्र की पट्टियाँ जो मध्य-महासागरीय कटक के समानंतर हैं। प्लेट प्रवाह की दर समझने में वैज्ञानिकों के लिए सहायक सिद्ध हुई हैं। प्रवाह की ये दरें बहुत भिन्न हैं। आर्कटिक कटक की प्रवाह, दर सबसे कम है (2.5 सेंटीमीटर प्रति वर्ष से भी कम) । ईस्टर द्वीप के निकट पूर्वी प्रशांत महासागरीय उभार, जो चिली से 3,400 किमी पश्चिम की ओर दक्षिण प्रशांत महासागर में है, इसकी प्रवाह दर सर्वाधिक है (जो 5 सेमी प्रति वर्ष से भी अधिक है)।
प्रश्न 11.
प्लेट विवर्तनिकी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) – सागरीय तल विस्तार अवधारणा के पश्चात् विद्वानों की महाद्वीपों व महासागरों के वितरण के अध्ययन में फिर से रुचि पैदा हुई। सन् 1967 में मैक्कैन्जी (Mackenzie) पारकर (Parker) और मोरगन (Morgan) ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा प्रस्तुत की ‘जिसे प्लेट विवर्तनिको’ (Plate tectronics) कहा गया।
एक विवर्तनिक प्लेट (जिसे लिथास्फेरिक प्लेट भी कहा जाता है) ठोस, चट्टान का विशाल व अनियमित आकार खंड है जो महाद्वीपीय व महासागरीय स्थलमण्डलों से मिलकर बना है। ये प्लेटें दुर्बलता मण्डल (Asthenosphere) पर एक दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान हैं। स्थलमण्डल में पर्पटी एवं ऊपरी मैंटल को सम्मिलित किया जाता है, जिसकी मोटाई महासागरों में 5 से 100 किमी और महाद्वीपीय भागों में लगभग 200 किमी है।