नन्दलाल नेहरू (1845 – 14 अप्रैल 1887) राजस्थान में खेतड़ी के दीवान थे। वर्ष १८७० में नन्दलाल ने खेतड़ी छोड़ दी और वकालत करके आगरा में कानूनी अभ्यास आरम्भ कर दिया। जब न्यायालय इलाहबाद विस्तापित हो गया तो वो भी वहाँ चले गये। वो गंगाधर नेहरू के दूसरे पुत्र थे और मोतीलाल नेहरू के बड़े भाई थे।[1] उनके निधन के समय 42 वर्ष की आयु में उनके सात बच्चे थे।[2] इनमें से बृजलाल नेहरू और रतन कुमार नेहरू उल्लेखनीय रहे हैं।
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