Tantiya Bhil | |
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जन्म | 1840/1842 khandwa, Madhya Pradesh, India |
मृत्यु | 4 December 1889 Jabalpur, Madhya Pradesh, India |
मृत्यु का कारण | Hanged |
स्मारक समाधि | Patalpani, Madhya Pradesh) |
प्रसिद्धि कारण | First War of Independence |
अंतिम स्थान | Patalpani, Madhya Pradesh) |
टंट्या भील [ इंडियन रोबिंहुड ] का नाम सबसे बड़े व्यक्ति के रुप मे लिया जाता है वे बड़े योद्दा थे । आज भी बहुत आदिवासी घरो मे टंट्या भील कि पुजा कि जाती है,कहा जाता है कि टंट्या भील को सभी जानवरो कि भाषा आती थी, टंट्या भील के आदिवासीयों ने देवता कि तरह माना था, आदिवासी जन आज भी कहते है,कि टंट्या भील को अलओकिक शक्ति प्राप्त थी, इन्ही शक्तियों के सहारे टंट्या भील एक ही समय 1700 गाँवो मे ग्राम सभा लिया करते थे,इन्ही शक्तियो के कारण अंग्रेजों के 2000 सैनिको के द्वारा भी टंट्या भील को कोई पकड़ नही पाता था । टंट्या भील देखते ही देखते अंग्रेजों के आँखो के साम्नने से ओझल हो जाते थे। कहा जाता है, कि टंट्या भील लाखो आदिवासी झगड़ो को ग्रामसभा मे ही हल किया कर देते थे,टंट्या भील , इनके पिता जी का नाम भाऊ सिंह भील था ।
में जाँबाजी का अमिट अध्याय बन चुके आदि विद्रोही टंट्या भील अंग्रेजी दमन को ध्वस्त करने वाली जिद तथा संघर्ष की मिसाल है। टंट्या भील के शौर्य की छबियां वर्ष 1857 के बाद उभरीं। जननायक टंट्या ने ब्रिटिश हुकूमत द्वारा ग्रामीण आदिवासी जनता के साथ शोषण और उनके मौलिक अधिकारों के साथ हो रहे अन्याय-अत्याचार की खिलाफत की। दिलचस्प पहलू यह है कि स्वयं प्रताड़ित अंग्रेजों की सत्ता ने जननायक टंट्या को “इण्डियन रॉबिनहुड’’ का खिताब दिया। मध्यप्रदेश के जननायक टंट्या भील को वर्ष 1889 में कुछ जयचंद की वजह से फाँसी दे दी गई।। टांटिया भील एक महान भील योद्धा थे।
संस्थान
- तात्या भील अध्ययन केंद्र – आर्थिक रूप से कमजोर विधार्थियो के लिए यह केंद्र है जनहा विद्यार्थी निशुल्क पढ़ाई कर सकते हैं [1]।
अन्य महत्वपूर्ण
रेन्गू कोरकू
बाहरी कड़ियाँ
- आदिवासियों का रॉबिनहुड था टंट्या भील
- आदिवासियों के लिए देवता है आजादी के सेनानी टंट्या भील[मृत कड़ियाँ]
- एक अनपढ़ आदिवासी ने नींद उड़ा दी थी अंग्रेज सरकार की
- टंट्या (गूगल पुस्तक (उपन्यास); लेखक – बाबा भांड]